रेत हो गए लोग ...

रेत हो गए लोग ...
रवि प्रकाश

Tuesday, January 11, 2011

ज्वालामुखी के मुहाने पर

गए साल की तरह आने वाले साल में भी....
मृत्यु जीवन पर भारी होगी,
क्योंकि,जीवित हैं अभी दंगों के ब्यापारी
किसानो की आंत अभी गिरवी है साहूकार की दुकान पर,
जिसकी रिहाई की शर्त जिस किताब में दर्ज है उसे रखना अब जुर्म है
और उधर जंगलों में छलनी है धरती का सीना
जिसे हत्यारे अपनी मुट्ठी में कैद रखना चाहते है!
जीवित हैं वे सभी जो मेरे देश को मौत का पिरामिड बनाकर
बिना सुबूत जेल में भर दे रहें हैं
इसी आने वाले समय(साल)में निमंत्रण है आप का,
रखी है चाय की केतली अभी भी
'ज्वालामुखी के मुहाने पर
'

1 comment:

  1. रखी है चाय की केतली अभी भी
    'ज्वालामुखी के मुहाने पर'

    आज के कटु सत्य को उजागर करती सार्थक प्रस्तुति..

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